पुस्तकालय :-

गुरुकुल का अपना एक पुस्तकालय है जिसमें लगभग 9000 पुस्तके हैं। छात्रों के ज्ञान वर्धन केलिए दैनिक समाचार पत्र तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं की व्यवस्था भी है।

पुस्तकालय की देख-रेख और संचालन पुस्तकालयाध्यक्ष के अधीन होगा।

पाठक पुस्तकालय की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखेंगे।

पुस्तकें परिचित व्यक्तियों को रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के पएचात्‌ तथा पुस्तकालय-सुरक्षा-धन जमा करने के पश्चात्‌ ही दी जायेंगी अथवा अधिकारियों के उत्तरदायित्त्व पर पुस्तकें दी जा सकेंगी।
पुस्तकों के फटने या गुम हो जाने पर उचित मूल्य पाठक को देना होगा।

पाठक पुस्तकालय की पुस्तकों को सुरक्षित रखेंगे तथा विविध लेखों, स्याही आदि से पुस्तकों को चिह्नित न करें।

नवीन पुस्तकों को खरीदने का विशेष ध्यान रखा जायेगा तथा अनुपयोगी फटी-पुरानी पुस्तकों के निष्कासन व मरम्मत का विशेष ध्यान रखा जायेगा।

अपनी कुछ सेवाएं अर्पित ली वहाँ विद्वानों के संग से आप विद्यार्जन भी करते रहे। परन्तु इतने मात्र से आप संतुष्ट नहीं हुए, अपितु आपके मन में एक लगन थी की हिसार मंडल में वैदिक सिद्धांतो तथा संस्कृत भाषा का प्रचार और प्रसार एक गुरुकुल की स्थापना के बिना अधूरा है। इसी लगन के परिणामस्वरूप गुरुकुल आर्यनगर की स्थापना की गयी जिसका विशेष वृतांत आगे दिया जा रहा है।

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